गीता
में
कर्म
का
महत्वपूर्ण
स्थान
है।
भगवान
श्रीकृष्ण
ने
अर्जुन
को
कहा
है
कि
कर्म
करना
ही
उसका
कर्तव्य
है
और
उसे
उसे
भाग्य
से
भी
बढ़कर
है।
गीता
ने
कर्म
को
भले
के
लिए
महत्वपूर्ण
माना
है
और
यह
सिखाया
है
कि
हमें
कर्म
में
जुटना
चाहिए
और
फल
की
चिंता
नहीं
करनी
चाहिए।
यह
भी
दिखाता
है
कि
कर्म
भले
के
लिए
करना
हमारे
जीवन
को
सफल
बनाता
है
और
हमें
ईश्वर
की
ओर
ले
जाता
है।
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